अयोध्या विवाद भारत के आधुनिक इतिहास का सबसे गहरा अध्याय है। यह केवल एक ढाँचे का विवाद नहीं था—यह इतिहास, आस्था, राजनीति और न्यायपालिका सभी को प्रभावित करने वाला मुद्दा था।
1528 से 1949 तक – आरंभिक तथ्य
बाबरी मस्जिद 1528 में मीर बाकी ने बनवाई।
सदियों तक मुसलमान मस्जिद में नमाज़ पढ़ते रहे और हिंदू समुदाय बाहर राम चबूतरा पर पूजा करता था।
19वीं सदी में ही ब्रिटिश प्रशासन ने जगह को “विवादित” माना।
1949: मस्जिद के अंदर मूर्तियाँ रखी गईं
22–23 दिसंबर 1949 की रात
राम की मूर्तियाँ मस्जिद के अंदर रख दी गईं।
सरकार ने तनाव रोकने के लिए मस्जिद को ताला लगाकर सील कर दिया।
कई मुक़दमे दाखिल हुए — यहीं से कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
1986–1992: आंदोलन और राजनीति
1986 में कोर्ट ने ताला खुलवाकर पूजा की अनुमति दी।
इसके बाद:
- धार्मिक संगठनों का आंदोलन तेज हुआ
- देशभर में यात्राएँ और रैलियाँ हुईं
- राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ा
6 दिसंबर 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस



लाखों कारसेवकों की भीड़ ने मस्जिद ढहा दी।
पूरा देश दंगों की चपेट में आ गया।
लिब्रहान आयोग ने इसे पूर्व-नियोजित बताया और कई संगठनों/नेताओं की जिम्मेदारी तय की।
2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
कोर्ट ने माना—
- मस्जिद गिराना कानून-विरुद्ध था
- नीचे मंदिर होने का निर्णायक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला
- लेकिन हिंदू पक्ष की निरंतर आस्था और ऐतिहासिक विश्वास को आधार बनाकर जमीन हिंदू पक्ष को दी गई
फैसले में आदेश दिया गया—
- पूरी 2.77 एकड़ ज़मीन हिंदू पक्ष को
- मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ अलग ज़मीन
क्यों उठे सवाल?
कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों, कानून विशेषज्ञों और मानवाधिकार संगठनों ने कहा:
- फैसला आस्था पर आधारित लगता है
- जबकि ढाँचा गिराना खुद सुप्रीम कोर्ट की नज़र में अवैध था
- अवैध विध्वंस के बाद भूमि का मालिकाना बदल जाना न्याय की असमानता दर्शाता है
यह आज भी चर्चा में है।
‘आस्था बनाम न्याय’ – भारत की सबसे बड़ी बहस
बाबरी मस्जिद विवाद एक मिसाल है कि कैसे:
- धर्म
- राजनीति
- और न्यायिक निर्णय
तीनों एक ही स्थल पर टकराते हैं।
फैसला कानूनी इतिहास में वर्षों तक बहस का हिस्सा रहेगा।
बाबरी मस्जिद विध्वंस ने भारत की सामाजिक व राजनीतिक दिशा बदल दी।
फैसले के बाद भी प्रश्न बाकी हैं—
क्या न्याय आस्था पर आधारित होना चाहिए?
क्या अवैध विध्वंस के बाद जमीन का मालिकाना बदलना उचित है?
भारत और दुनिया दोनों जगह यह बहस जारी है।
