वाशिंगटन डीसी, 28 नवंबर 2025 | विशेष संवाददाता)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को दुखद खबर साझा की कि व्हाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी में घायल दो नेशनल गार्ड सदस्यों में से एक की मौत हो गई है। पश्चिम वर्जीनिया की रहने वाली 28 वर्षीय सारा बेकस्ट्रॉम, जो एक सम्मानित और युवा सैनिक थीं, ने अपनी जान गंवा दी। दूसरा गार्ड सदस्य अभी भी अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
यह घटना बुधवार, 26 नवंबर 2025 को वाशिंगटन डीसी में हुई, जब अफगान मूल के एक व्यक्ति रहमानउल्लाह लकनवाल ने नेशनल गार्ड के गश्ती दल पर अंधाधुंध फायरिंग की। लकनवाल, जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के साथ सेवा दे चुका था, को हिरासत में ले लिया गया है। फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने इसे एक सुनियोजित आतंकी हमला करार दिया है, जो अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा, “सारा जैसी बहादुर महिला का नुकसान हमें गहरा सदमा पहुंचा रहा है। हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं और इस तरह के कायरतापूर्ण कृत्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने संकेत दिया कि इस घटना के बाद नेशनल सिक्योरिटी प्रोटोकॉल में बदलाव किए जा सकते हैं, खासकर उन व्यक्तियों की जांच के लिए जो विदेशी सैन्य पृष्ठभूमि से आते हैं।
घटना का विवरण
घटना दोपहर करीब 2:30 बजे हुई, जब नेशनल गार्ड का एक छोटा दस्ता व्हाइट हाउस के आसपास सुरक्षा जांच कर रहा था। लकनवाल ने अचानक हथियार निकालकर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें दो गार्ड्स को गोली लगी। आसपास के नागरिकों ने तुरंत मदद की मांग की और स्थानीय पुलिस ने कुछ ही मिनटों में हमलावर को पकड़ लिया। जांच एजेंसियों के अनुसार, लकनवाल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका आया था और उसके पास वैध वीजा था, लेकिन उसके सोशल मीडिया पोस्ट्स में चरमपंथी विचारों के संकेत मिले हैं।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने बताया कि राष्ट्रपति ने तुरंत नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक बुलाई है, जिसमें इस घटना की गहन जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों पर चर्चा होगी।
व्यापक प्रभाव
यह घटना अमेरिका में बढ़ते सुरक्षा खतरों को उजागर करती है, खासकर सरकारी भवनों के आसपास। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विदेशी सहयोगियों की पृष्ठभूमि जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाएगा। साथ ही, यह अफगानिस्तान युद्ध के दिग्गजों के पुनर्वास कार्यक्रमों पर भी बहस छेड़ सकती है। नागरिक अधिकार संगठनों ने अपील की है कि जांच निष्पक्ष हो और किसी समुदाय को बदनाम न किया जाए।
(स्रोत: News Agency)
