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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा – अवैध घुसपैठिए भी हिंदुस्तान में कानूनी हक मांग सकते हैं? रोहिंग्या निर्वासन मामले में बड़ा सवाल

न्यूज़360 | Digital Desk

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन मामले में केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया – क्या कोई व्यक्ति अवैध तरीके से भारत में घुसकर भी यह हक मांग सकता है कि उसे बिना प्रक्रिया के देश से निकाला न जाए?

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने पूछा,
“जो व्यक्ति गैर-कानूनी ढंग से देश में दाखिल हुआ है, क्या वह संविधान के अनुच्छेद-२१ (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का हवाला देकर कह सकता है कि उसे नोटिस, सुनवाई और कानूनी प्रक्रिया का हक है?”

यह टिप्पणी तब आई जब मानवाधिकार वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस की हिरासत में रहे कई रोहिंग्या अचानक “गायब” हो गए हैं और इन्हें चुपचाप म्यांमार वापस भेज दिया गया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को १० दिसंबर तक इन लोगों को पेश करने या उनकी हिरासत की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है।

देश में करीब १८,००० रोहिंग्या यूएनएचसीआर के पास रजिस्टर्ड हैं, लेकिन हजारों बिना कागजात के जम्मू, हैदराबाद और दिल्ली के झुग्गी कैंपों में रहते हैं। सरकार इन्हें “घुसपैठिया” मानती है और लगातार निर्वासन अभियान चला रही है।

विपक्षी नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया – “सीमा सुरक्षा जरूरी है, लेकिन इंसानियत को कुचलना हमारी परंपरा नहीं है।”

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